सोमवार, 28 मई 2018

शिवजी की पूजा-अर्चना में रखें छोटी-छोटी सावधानी



शिवलिंग पर जलाभिषेक लोटे के जल से पतली धार गिराते हुए करना चाहिए. बहुत से लोग एक झोंके में लोटाभर पानी उडेल देते हैं. यह अनुचित विधि है. पतली धार से जल गिराते हुए ऊँ नमः शिवाय का उच्चारण करते रहें.

शिवजी का किसी भी पदार्थ से अभिषेक करने के बाद अंत में जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए. जलाभिषेक बाद शिवलिंग को स्पर्शकर प्रणाम करना चाहिए. उदाहरण के लिए यदि आपने दूध से अभिषेक किया तो उसके बाद जल से अभिषेक जरूर कर दें.

शिवजी की स्थापना जहा गर्भगृह में हुई हो वही उत्तम मानी जाती है. गर्भगृह उसे भी माना जा सकता है यदि शिवलिंग के ऊपर शंकुल आकार की छत बनी हो.

शिवजी पर चढ़े निर्माल्य का उल्लंघन न करें यानी लांघें नहीं.


जो लोग आर्थिक रूप से बहुत संकट में चल रहे हैं. जीवनयापन की बाधा आ रही हो उन्हें प्रतिदिन शिवमंदिर में शिव-दारिद्रय-दहन स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. यह अनेक लोगों पर आजमाया हुआ प्रयोग है और इससे शर्तिया लाभ होता ही है. इसके पाठ से आजीविका का संकट तो अवश्य समाप्त होता है. यह नहीं  कि खूब धन-दौलत आ जाएगी, हो सकता है विपुल संपदा आ भी जाए पर यह बात पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि जीवनयापन की बाधा का निदान हो जाता है. बहुत से लोगों को बताया गया और सभी को लाभ हुआ है. दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ आरंभ करने के लिए सावन मास उपयुक्त समय है.


आरती के अलावा कभी भी मंदिर में बहुत जोर-जोर से और बार-बार घंटा न बजाएं. घंटा बस एक बार बजाना चाहिए.


आरती के समय बैठना या लेटना नहीं चाहिए, इससे देवताओं का अपमान होता है. यदि आप घर में हैं और आरती हो रही है तो उतनी देर के लिए ही सही उठकर खड़े अवश्य हो जाएं. यदि मंदिर में हैं तो भी आरती के समय अपनी पूजा-जप आदि बंद करके खड़े होकर आरती में शामिल हों.


पूजा यदि नियम से की जाए तो पूजा का फल बढ़ जाता है. बिलकुल वैसे ही जैसे आप किसी भी काम को व्यस्थित तरीके से करते हैं तो उससे काम की सुंदरता बढती है और सफलता की संभावना ज्यादा रहती है. पूजा के नियम इतने कठिन भी नहीं है कि उनका पालन न किया जा सकें.


पूजा के नियम बनाने के पीछे बहुत से व्यवहारिक कारण हैं. आप इन्हें जानेंगे तो स्वयं ही इसका पालन करने लगेंगे.

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