शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

भगवान शिव ने किया था सुदामा का वध


सुदामा को भगवान श्री कृष्ण के भक्त के रूप में जाना जाता है। कृष्ण और सुदामा की मित्रता के किस्से बहुत ही विख्यात हैं। लेकिन सुदामा से जुड़ा एक प्रसंग यह भी है कि उनका वध शिव जी ने किया था। इस बात पर विश्वास करना मुश्किल लगता है लेकिन इसका उल्लेख पुराणों में किया गया है।

इस प्रसंग के मुताबिक, स्वर्ग के एक विशेष भाग गोलोक में सुदामा और विराजा रहते थे। सुदामा को विराजा से प्रेम हो गया था। लेकिन विराजा कृष्ण जी को चाहती थीं। एक दिन राधा ने कृष्ण और विराजा को प्रेम करते देख लिया। इससे गुस्से में आकर राधा ने विराजा को पृथ्वी पर आने का श्राप दिया। विराजा का जन्म धर्मध्वज के यहां तुलसी के रूप में हुआ।

राधा ने क्रोध में सुदामा को भी श्राप दिया था। इसके चलते सुदामा का जन्म राक्षसराज दम्भ के यहां शंखचूण के रूप में हुआ। पृथ्वी पर शंखचूड़ का तुलसी से विवाह हुआ। शंखचूड़ ब्रम्हा जी का भक्त था। उसने तपस्या करके ब्रम्हा जी से अजेय होने का वरदान हासिल कर लिया था। इसके कुछ समय बाद ही शंखचूड़ ने तीनों लोकों पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया। शंखचूड़ के अत्याचारों से मनुष्य से लेकर देवता भी परेशान हो उठे।

देवताओं ने इसके लिए शिव जी से मदद मांगी। लेकिन शंखचूड़ को श्रीकृष्ण कवच और तुलसी के पतिव्रत धर्म की प्राप्ति की वजह से शिव जी उसका वध नहीं कर पाए। इस पर विष्णु जी ने ब्राह्मण का रूप धरकर शंखचूड़ से श्रीकृष्णकवच दान में ले लिया। साथ ही शंखचूड़ का रूप धरकर तुलसी के शील का हरण भी कर लिया। इस मौके पर शिव जी ने शंखचूड़ को अपनी त्रिशूल से भस्म कर दिया। इस प्रकार से शिव जी ने सुदामा के पुनर्जन्म का वध किया था।

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