मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

जानिए महाभारत में कौन किसका था अवतार

 

 महाभारत में जितने भी प्रमुख पात्र थे वे सभी देवता, गंधर्व, यक्ष, रुद्र, वसु, अप्सरा, राक्षस तथा ऋषियों के अंशावतार थे।

भगवान नारायण की आज्ञानुसार ही इन्होंने धरती पर मनुष्य रूप में अवतार लिया था। महाभारत के आदिपर्व में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है। उसके अनुसार-

वसिष्ठ ऋषि के श्राप व इंद्र की आज्ञा से आठों वसु शांतनु के द्वारा गंगा से उत्पन्न हुए।उनमें सबसे छोटे भीष्म थे।भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतीर्ण हुए।महाबली बलराम शेषनाग के अंश थे।

देवगुरु बृहस्पति के अंश से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ।अश्वत्थामा महादेव, यम, काल और क्रोध के सम्मिलित अंश से उत्पन्न हुए।रुद्र के एक गण ने कृपाचार्य के रूप में अवतार लिया।

द्वापर युग के अंश से शकुनि का जन्म हुआ।अरिष्टा का पुत्र हंस नामक गंधर्व धृतराष्ट्र तथा उसका छोटा भाई पाण्डु के रूप में जन्में।सूर्य के अंश धर्म ही विदुर के नाम से प्रसिद्ध हुए।कुंती और माद्री के रूप में सिद्धि और धृतिका का जन्म हुआ था।

मति का जन्म राजा सुबल की पुत्री गांधारी के रूप में हुआ था।कर्ण सूर्य का अंशवतार था।युधिष्ठिर धर्म के, भीम वायु के, अर्जुन इंद्र के तथा नकुल व सहदेव अश्विनीकुमारों के अंश से उत्पन्न हुए थे।राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी के रूप में लक्ष्मीजी व द्रोपदी के रूप में इंद्राणी उत्पन्न हुई थी।

दुर्योधन कलियुग का तथा उसके सौ भाई पुलस्त्यवंश के राक्षस के अंश थे।मरुदगण के अंश से सात्यकि, द्रुपद, कृतवर्मा व विराट का जन्म हुआ था।अभिमन्य, चंद्रमा के पुत्र वर्चा का अंश था।

अग्नि के अंश से धृष्टधुम्न व राक्षस के अंश से शिखण्डी का जन्म हुआ था।विश्वदेवगण द्रोपदी के पांचों पुत्र प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतानीक और श्रुतसेव के रूप में पैदा हुए थे।

दानवराज विप्रचित्ति जरासंध व हिरण्यकशिपु शिशुपाल का अंश था।कालनेमि दैत्य ने ही कंस का रूप धारण किया था।इंद्र की आज्ञानुसार अप्सराओं के अंश से सोलह हजार स्त्रियां उत्पन्न हुई थीं।

इस प्रकार देवता, असुर, गंधर्व, अप्सरा और राक्षस अपने-अपने अंश से मनुष्य के रूप में उत्पन्न हुए थे।

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