गुरुवार, 26 अगस्त 2021

नमः शिवाय मंत्र की शक्ति

 शिव के पंचाक्षर मंत्र नमः शिवाय में यदि ॐ को आगे जोड़ दिया जाये तो यह भगवान शिव का षडक्षर मंत्र हो जाता है | जो इस तरह बनता है , ॐ नमः शिवाय | शिव के मन्त्र सरिता में इस मंत्र का विशेष स्थान है | यह जितना सरल मंत्र है उतना ही शक्तिशाली और चमत्कारी भी है | इस पंचाक्षर और षडक्षर मन्त्र का यदि आप रुद्राक्ष की माला से सही जाप करेंगे तो अपने सभी मनोरथ को पूर्ण कर सकेंगे |


नमः शिवाय मंत्र जप का स्थान

किसी शिवालय में या अपने घर के शिवलिंग के पास भी मंत्र जप करना उत्तम बताया गया है | महामृत्युञ्जय मंत्र की शक्ति से आप पहले ही परिचित होंगे |
यदि आप किसी पवित्र नदी के किनारे शिवलिंग स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे तो उसका फल भी उत्तम प्राप्त होगा |
आप किसी पर्वत और शांत वन में भी यह शिव पंचाक्षर और षडक्षर मन्त्र का जाप कर सकते है |

कितना जप करे

यह एक मात्र मंत्र ऐसा है जिसकी कोई जप संख्या नही है | आप जितना इसका जप करेंगे उतना ही यह सिद्ध होता जायेगा | ॐ नमः शिवाय मंत्र जितना सरल है उतना ही चमत्कार से भरा हुआ है | ब्रहमस्वरुप महा शिव की कृपा पाने का सबसे आसान रास्ता है इस मंत्र का उच्चारण |
भगवान शंकर का पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय ही अमोघ एवं मोक्षदायी है, किंतु विषम काल में यदि भक्त पर कोई कठिन व्याधि या समस्या आन पड़े तब श्रद्धापूर्वक ‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ’ के मंत्र का एक लाख जप करना चाहिए। यह बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।
स्नान के बाद कुश के आसन पर विराजमान होकर रुद्राक्ष माला से शिव के चमत्कारी मंत्रों का जप करना विलक्षण सिद्धि व मनचाहे लाभ देने वाला होता है |

शिव के मंत्र और जप विधि 

यह मंत्र ११ , २१ , १०१ ,१००१ बार बोले जा सकते है | ध्यान रखे की मंत्र उच्चारण सही हो और मन उस समय चंचल नहीं हो |

शिवजी के कुछ नामो से जुड़े मंत्र

ॐ अघोराय नम:
ॐ शर्वाय नम:
ॐ विरूपाक्षाय नम:
ॐ विश्वरूपिणे नम:
ॐ त्र्यम्बकाय नम:
ॐ कपर्दिने नम:
ॐ भैरवाय नम:
ॐ शूलपाणये नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ महेश्वराय नम:

यह है आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न करने के अत्यंत सरल और अचूक मंत्र। इन मंत्रों का प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। जप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
जप के पूर्व शिवजी को बिल्व पत्र अर्पित करना या उनके ऊपर जलधारा लगाना चाहिए।

कुछ अन्य मंत्र 

* ऊर्ध्व भू फट् ।
* नमः शिवाय ।
शिव मंत्र जप विधि
* ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।
* ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा ।
* इं क्षं मं औं अं ।
* प्रौं ह्रीं ठः ।
* नमो नीलकण्ठाय ।
* ॐ पार्वतीपतये नमः ।
* ॐ पशुपतये नम:

इसके अलावा काल पर विजय प्राप्त करने वाला महामृत्युञ्जय मंत्र भी सर्वोतम है |
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

सोमवार, 9 अगस्त 2021

अघोर

 

अघोर मार्ग का तन्त्र में बहुत उच्च स्थान है लेकिन अघोर मार्ग पर चलना उतना ही कठिन भी है। आज के समय मे अघोर के प्रति लोग ज्यादा आकर्षित इसलिए हो रहे है क्योकि इस मार्ग में शुद्ध अशुद्ध का कोई नियम नही होता। मास मदिरा स्त्री किसी प्रकार का कोई नियम नही लोगो को ऐसी ही तो आजादी चाहिए। लेकिन मास मदिरा स्त्री का अघोर में क्या महत्व है ये जानना भी आवश्यक है।

मास मदिरा पीकर स्त्री संग लिप्त रहना अघोर नही है। ये अघोर के नाम पर सिर्फ पाखंड है। अघोर क्या पूरे तन्त्र में स्त्री को शक्ति स्वरूप में देखकर पूजन होता है ना कि स्त्री भोग की वस्तु है। स्त्री के अंदर माँ कामाख्या को देखकर पुजन होता है। लेकिन लोगो ने अपनी ही इच्छाओ की पूर्ति के लिए तन्त्र जैसे मार्ग को भी दूषित कर दिया है जिससे आम लोग नाम से भी भय खाते है। अघोर तो भगवान शिव का ही रूप है जो भेदभाव मिटाता है।


मास मदिरा का प्रयोग भोग के लिए किया जाता है क्योकि स्मशानिक शक्तियो का भोग यही है। इसका अर्थ ये नही होता कि आप सयम भी मास मदिरा पीकर पड़े रहो और लोगो को गालिया देकर बात करो। ऐसा करने वाले लोग अघोर को कभी नही समझ सकते।

अघोर कभी नही कहता काले वस्त्र धारण करो स्मशान में बैठो , बड़ी बड़ी मालाएं धारण करो ये सब संसारिकता में रहकर कर रहे हो तो पूर्णतया दिखावा है। ये सब विधि विधान उनके लिए होता है जो संसार से रिश्ता तोड़ चुका हो। सांसारिक गृहस्थ लोग जो अघोर मार्ग से दीक्षा प्राप्त हुए होते है उनको आप पहचान भी नही पाते कि अघोरी है क्योकि सामान्य लोगो की तरह रहते है सिर्फ अपने पूजन के समय वस्त्र धारण करते है।

अघोर में गृहस्थ लोग भी आ सकते है ऐसा नही है इसके लिए कुछ त्याग करने या घरबार छोड़ने की आवश्कयता है। दीक्षा प्राप्त करके अपने घर में सात्विक साधना कर सकते है जिससे आपकी आत्मा की यात्रा आगे बढे सके।