गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

गुप्तेश्वर महादेव जहाँ होता है गौमुख से अभिषेक


इंदौर शहर के प्रचीनतम मंदिरों में से एक है देव गराड़िया स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर इंदौर शहर से करीब 15 किमी दूर स्थित है। गांव गराड़िया नेमावर रोड़ पर एक छोटा सा गांव हैं। इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में देवी अहिल्याबाई ने करवाया था। देव गुराड़िया के बारे में पुराणों में वर्णण है और ऐसा माना भी गया है की भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ ने यहां आकर भगवान शिव की तपस्या की थी। इसलिए ही इस स्थान का नाम देव गुराड़िया पड़ा है। इस स्थान को गरुड़ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है।


गुप्तेश्वर मंदिर में विराजित शिवलिंग पर अभिषेक एक प्राकृतिक गौमुख से जल निकलने से होता है। यह जल पिंडी के ऊपर से गिरकर मंदिर के पास बने कुंड में गिरता है और यहां इकट्ठा हो जाता है। मान्यता है कि मंदिर के आसपास बने यह कुंड कभी नहीं सूखते हैं। और ऐसा माना गया है कुंड बुझाता है पूरे गांव की प्यास । पूरे गांव के लोग इसी जलकुंड का पानी पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस जलकुंड में साल के 12 महीनों पानी भरा रहता है। मंदिर के अंदर के कुंड के अलावा मंदिर में 5 कुंड और बने हैं जो कि हमेशा पानी से भरे होते हैं। इनका पानी कभी खाली नहीं होता है।


वैसे तो महादेव के दर्शन के लिए सालभर ही भक्तों का तांता इस मंदिर में लगा रहता है लेकिन यह संख्या सावन के पावन महीने में बढ़ जाती है। यह महीना शिवभक्तों के लिए एक त्यौहार से कम नहीं होता।

मंदिर में एक खास बात और है जो भक्तों को अपनी और आकर्षित करती है, मंदिर में रहता है एक नाग- नागिन का जोड़ा। जो कभी या तो कुंड में या तो कभी शिवालय में भक्तों को दर्शन देते हैं। पुरानी मान्यता है कि जिस भक्त को इनके दर्शन होते हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हज़ारो भक्त यहाँ आते है अपनी मनोकामना लेकर और भगवान के दर्शन पाकर अभिभूत हो जाते है।

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