सोमवार, 7 जून 2021

क्यों धरा बजरंगबली हनुमान ने पंचमुखी रूप



यह बात उस समय की है भगवान राम को रावण का युद्ध अन्तिमचरण में था ! तब रावण ने अपने आप को हार से  बचने की लिए एक अंतिम योजना बनाइ !
उसने अपने मायावी भाई अहिरावन को याद किया जो मां भवानी का परम भक्त होने के साथ साथ तंत्र मंत्र का का बड़ा ज्ञाता था। 

उसने अपने माया के दम पर भगवान राम की सारी सेना को निद्रा में डाल दिया तथा राम एव लक्ष्मण का अपरहण कर उनकी देने उन्हें पाताल लोक ले गया। कुछ समय बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब विभिषण समझ गए की ये  कि यह कार्य अहिरावन ने किया है और तब यह सारी  वार्ता विभीषण ने हनुमान जी को समझी और कहा की श्री राम और लक्ष्मण सहायता करने के लिए उन्हें पाताल लोक जाना होगा क्योंकि राम जी और लक्ष्मण जी का हरण किया गया है  तब हनुमान जी ने पाताल  प्रस्थान  किया जहाँ उन्हें पाताल लोक के द्वार पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला और युद्ध में उसे हराने के बाद हनुमान जी ने अहिरावण का वध किया और बंधक श्री राम और लक्ष्मण से मिले

वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा।

 उत्तर में वराह मुखदक्षिण दिशा में नरसिंह मुखपश्चिम में गरुड़ मुखआकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख।

 इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर राम,लक्ष्मण को उस से मुक्त किया।  

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