सोमवार, 26 जुलाई 2021

सावन माह - क्या चढ़ाएं शिव को?

 



शिव बहुत भोले हैं, यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा से उन्हें सिर्फ एक लोटा पानी भी अर्पित करे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कुछ छोटे और अचूक उपायों के बारे शिवपुराण में भी लिखा है।

1. सावन में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

2. अगर आपके घर में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो सावन में रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करें तथा गुग्गुल का धूप दें।

3. यदि आपके विवाह में अड़चन आ रही है तो सावन में रोज शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं। इससे जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं।

4. सावन में रोज नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और मन प्रसन्न रहेगा।

5. सावन में गरीबों को भोजन कराएं, इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।

6. सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे मन को शांति मिलेगी।

7. सावन में किसी नदी या तालाब जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं। जब तक यह काम करें मन ही मन में भगवान शिव का ध्यान करते रहें। यह धन प्राप्ति का बहुत ही सरल उपाय है।

8 .सावन के महीने में किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी यथा विधि पूजन करें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें!

ऐं ह्रीं श्रीं ॐ नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं

प्रत्येक मंत्र के साथ बिल्वपत्र पारद शिवलिंग पर चढ़ाएं। बिल्वपत्र के तीनों दलों पर लाल चंदन से क्रमश: ऐं, ह्री, श्रीं लिखें। अंतिम 108 वां बिल्वपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद निकाल लें तथा उसे अपने पूजन स्थान पर रखकर प्रतिदिन उसकी पूजा करें। माना जाता है ऐसा करने से व्यक्ति की आमदानी में इजाफा होता है।

9. संतान प्राप्ति के लिए उपाय - सावन में किसी भी दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव का पूजन करें। इसके पश्चात गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं। अब प्रत्येक शिवलिंग का शिव महिम्न स्त्रोत से जलाभिषेक करें। इस प्रकार 11 बार जलाभिषेक करें। उस जल का कुछ भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। यह प्रयोग लगातार 21 दिन तक करें। गर्भ की रक्षा के लिए और संतान प्राप्ति के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष भी धारण करें। इसे किसी शुभ दिन शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें।

10. बीमारी ठीक करने के लिए उपाय - सावन में किसी सोमवार को पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करें।
अभिषेक करते समय ॐ जूं स: मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें। इस उपाय से बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।

11. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।

12. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।

13. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।

14. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।

15 . बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।

16 . तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।

17 . शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।

18. शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।

19. शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।

20. यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है।

21. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

22. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।

23 . अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।

24. शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।

25. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।

26. जूही के फूल से भगवान शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।

27 . कनेर के फूलों से भगवान शिव का पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।

28. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।

29. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।

30. लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजन में शुभ माना गया है।

31. शमी का पत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से धन और सौभाग्य म ए वृद्धि होती है। प्रतिदिन शिवमंदिर जाकर तांबे के लोटे में गंगाजल या पवित्र जल भरकर ले जाएँ। उसमें चावल और सफ़ेद चन्दन मिलाकर शिवलिंग पर "ॐ नमः शिवाय" बोलते हुए अर्पित कर दें। जल चढ़ाने के उपरांत भगवान शिव को चावल, बेलपत्र, सफ़ेद वस्त्र, जनेऊ और मिठाई के साथ शमी का पत्र भी चढ़ाएँ।ॐ सोम सोमाय नमः

32.शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।

गुरुवार, 22 जुलाई 2021

पूजन साधना में भोग का महत्व



 जिस प्रकार इंसान को अपनी स्वास प्रिय होती है उसी तरह देवो को भी अपना भोग प्रिय है। यदि आपने कुछ मांगा है और उसके एवज में भोग नही दिया तो देव शक्ति रुष्ट हो जाती है। आपको भोग सामान्य सी चीज लगती है लेकिन देव देवी के लिए बहुत महत्व रखती है। जब कोई देव या देवी आपके लिए कार्य करती है तो उसमे काफी ऊर्जा का व्यय होता है और ऊर्जा की पूर्ति वो शक्ति आपके दिए भोग से करती है।


हम नित्य पूजन तो करते है लेकिन भोग नही लगाते तो आपके कुलदेव आपके इष्टदेव पूजन तक में भी नही आएंगे क्योकि आने जाने भी में ऊर्जा का व्यय होता है। आप हवन करते है तो सबसे पहले देवो को भोग लगता है तब उनका आवाहन होता है। बहुत से लोग कहते है हम 2-2 घण्टे पूजन करते है लेकिन शांति नही मिलती। सिर्फ दीप जला देने और चालीसा स्तोत्र पाठ कर देने से पूजन पूर्ण नही होता है बिना भोग के पूजन कभी पूर्ण नही हो सकता। जितने भी बड़े मन्दिर है उनमें नियम से भोग लगता है और भोग लगने के बाद मन्दिर में आरती पूजन होता है।

ऐसे ही साधक कोई साधना करता है तो उस देव या देवी का भोग लगता है फिर उसका आवाहन करके अपनी साधना आरम्भ करता है। अगर आप कुछ शक्तियों से इच्छा रखते है तो आपको भी उसके एवज में कुछ देना ही पड़ता है तब ही कुछ प्राप्त होता है।

आप देव देवी को भोग लगाते है इससे भी उनको मिलती है जिससे उनकी तृप्ति हो जाती है। आपको भोजन खाने के बाद ऊर्जा मिलती है लेकिन देव देवी इस भोजन में से जो हम भोग स्वरूप रखते है उसमे से ऊर्जा ग्रहण कर लेते है। क्योकि उनकी कोई देह नही होती। यही कारण है हम पूजन साधना में भोग सबसे पहले लगाते है। किसी शक्तियों से कार्य करवाते है तो भोग लगाते है क्योकि उनको भी कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। 

गुरुवार, 8 जुलाई 2021

दिव्य यात्रा के अनुभव।

 

ध्यान, साधना, मन्त्र जाप करते हुए शारीरिक दर्द, विशेष रूप से गर्दन, कंधे और पीठ में। यह आपके आध्यात्मिक डीएनए स्तर पर गहन परिवर्तन का परिणाम है क्योंकि "ईश्वरीय बीज"(दिव्य ऊर्जा) जागृत होता है।

बिना किसी कारण के लिए गहरी आंतरिक उदासी महसूस करना इस अनुभव से आप अपने अतीत (इस जीवनकाल और अन्य) कि दुखद घटनाओं से मुक्त होने पर अनुभव करते हैं और इससे अकारण दुःख की भावना पैदा होती है । यह कुछ ऐसा हैं जैसे कई वषों तक अपनें घर को छोङ कर नयें घर में जाते है और पुराने घरों की यादें, ऊर्जा और अनुभवों को छोड़ने से जो उदासी अनुभव होतीं है।
वर्तमान परिवार के लोगों से अपनें को अलग महसूस करना, हम पारिवारीक रिश्तों में अपनें पुराने कर्मों के कारण (लेन-देन) से जुड़े हुए हैं। जब आप कर्म चक्र से निकलते हैं, तो पुराने रिश्तों के बंधनो से मुक्त होने लगते हैं। यह अनुभव हैं जैसे कि आप अपने परिवार और दोस्तों से दूर रह रहे हैं। यह समय भी गुजर जाएगा। समय के बाद, यदि आप उपयुक्त हैं तो आप उनके साथ एक नया रिश्ता विकसित कर सकते हैं। हालांकि, रिश्ते को एक नई ऊर्जा के आधार पर निभाया जाएगा बिना कार्मिक संलग्नकता के।

स्वप्न
इनमें आप युद्ध और लड़ाई के सपने, राक्षस के पीछे भागने या ङरावने सपने शामिल हो सकते हैं। इसमे भी पुरानी ऊर्जा को भीतर से रीलिज़ कर रहे हैं, और अतीत की ये ऊर्जा अक्सर युद्ध के रूप में दर्शायी जाती है, डर कर भागने के जैसे इत्यादि। साधना मार्ग पर बढ़ते हुए ये अनुभव भी धीरे धीरे खत्म हो जाएगा।

अकेलेपन की भावना
यह भावना लोगों के साथ होने पर भी अनुभव होती हैं। कई लोगों के होने पर भी आप अपनें आप को अकेले महसूस कर सकते हैं और लोगों कि उस भीङ से वहाँ से भाग जाये ऐसा भी महसूस कर सकतें हैं। यह इसलिए अनुभव होता हैं क्योकि हम निरंतर साधना मार्ग पर चल रहे हैं। अकेलेपन की भावनाओं के कारण आपको चिंता होती है, इस समय दूसरों से बातचीत करना या नयें संबंध बनाने में मुश्किल अनुभव करेगें। अकेलेपन की भावनाएं इस तथ्य से भी जुड़ी हुई हैं कि आपकी मार्गदर्शिकाएँ समाप्त हो चुकी हैं जो आपके सभी जीवन कालों में आपके सभी यात्रा पर रहे हैं। यह उनके लिए दूर करने का समय था ताकि आप उनकी जगह अपने देवत्व से भर सकें। यह समय भी गुजर जाएगा। भीतर का शून्य अपने ही सत्य ईश्वर की प्रेम और ऊर्जा से भर जाएगा।

घर(मंजिल) जाने के लिए एक गहन इच्छा
यह अनुभव शायद किसी भी परिस्थितियों में सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण है। ग्रह(पृथ्वी) छोड़ने और अपनें वास्तविक घर(परम्) पर वापस जाने की एक गहरी और भारी इच्छा का अनुभव है। ध्यान साधना करते हुए आपने अपने आपको पूर्ण स्वच्छ और निर्मल बना लिया अब आप एक शांत ऊर्जा है जो घर जाना चाहती है। इसके लिए मूल कारण काफी आसान है। आपने अपना कर्म चक्र पूरा कर लिया है आपने इस जीवनकाल के लिए अपना अनुबंध पूरा कर लिया है। अब समय आ गया सदा सदा के लिए उस परम् ऊर्जा में विलीन होने का। यही आत्मा की यात्रा है जिसके लिए हम जन्म पर जन्म लेते रहते है।

अगर आप पृथ्वी पर दूसरे कर्तव्य के दौर के लिए तैयार हैं? आप नई ऊर्जा में जाने की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं? अगर हां, वास्तव में आप अभी घर जा सकते हैं। लेकिन आप ये बहुत दूर आ गए है। इसके लिए पूर्ण प्रयास करना होगा गुरु सानिध्य में रहकर। निंरतर ध्यान साधना में जीवन व्यतीत करना होगा तभी ये सम्भव है। कर्म चक्र से निकलना सहज नही है ये गुरु कृपा से ही सम्भव है। इसलिए इस यात्रा के लिए आपको आवश्यकता है एक अनुभवी गुरु की जो आपको पूर्ण और सही मार्गदर्शन दे सके और इस दिव्य यात्रा को पूर्ण करवा है। अब समय है इस परम् मार्ग पर चलने का गुरु सानिध्य में जाने का। ये संसार, रिश्ते नाते हर जन्म में मिल जाते है लेकिन वो बड़े भाग्यशाली होते है जिनको गुरु प्राप्त हो जाते है।