गुरुवार, 8 जुलाई 2021

दिव्य यात्रा के अनुभव।

 

ध्यान, साधना, मन्त्र जाप करते हुए शारीरिक दर्द, विशेष रूप से गर्दन, कंधे और पीठ में। यह आपके आध्यात्मिक डीएनए स्तर पर गहन परिवर्तन का परिणाम है क्योंकि "ईश्वरीय बीज"(दिव्य ऊर्जा) जागृत होता है।

बिना किसी कारण के लिए गहरी आंतरिक उदासी महसूस करना इस अनुभव से आप अपने अतीत (इस जीवनकाल और अन्य) कि दुखद घटनाओं से मुक्त होने पर अनुभव करते हैं और इससे अकारण दुःख की भावना पैदा होती है । यह कुछ ऐसा हैं जैसे कई वषों तक अपनें घर को छोङ कर नयें घर में जाते है और पुराने घरों की यादें, ऊर्जा और अनुभवों को छोड़ने से जो उदासी अनुभव होतीं है।
वर्तमान परिवार के लोगों से अपनें को अलग महसूस करना, हम पारिवारीक रिश्तों में अपनें पुराने कर्मों के कारण (लेन-देन) से जुड़े हुए हैं। जब आप कर्म चक्र से निकलते हैं, तो पुराने रिश्तों के बंधनो से मुक्त होने लगते हैं। यह अनुभव हैं जैसे कि आप अपने परिवार और दोस्तों से दूर रह रहे हैं। यह समय भी गुजर जाएगा। समय के बाद, यदि आप उपयुक्त हैं तो आप उनके साथ एक नया रिश्ता विकसित कर सकते हैं। हालांकि, रिश्ते को एक नई ऊर्जा के आधार पर निभाया जाएगा बिना कार्मिक संलग्नकता के।

स्वप्न
इनमें आप युद्ध और लड़ाई के सपने, राक्षस के पीछे भागने या ङरावने सपने शामिल हो सकते हैं। इसमे भी पुरानी ऊर्जा को भीतर से रीलिज़ कर रहे हैं, और अतीत की ये ऊर्जा अक्सर युद्ध के रूप में दर्शायी जाती है, डर कर भागने के जैसे इत्यादि। साधना मार्ग पर बढ़ते हुए ये अनुभव भी धीरे धीरे खत्म हो जाएगा।

अकेलेपन की भावना
यह भावना लोगों के साथ होने पर भी अनुभव होती हैं। कई लोगों के होने पर भी आप अपनें आप को अकेले महसूस कर सकते हैं और लोगों कि उस भीङ से वहाँ से भाग जाये ऐसा भी महसूस कर सकतें हैं। यह इसलिए अनुभव होता हैं क्योकि हम निरंतर साधना मार्ग पर चल रहे हैं। अकेलेपन की भावनाओं के कारण आपको चिंता होती है, इस समय दूसरों से बातचीत करना या नयें संबंध बनाने में मुश्किल अनुभव करेगें। अकेलेपन की भावनाएं इस तथ्य से भी जुड़ी हुई हैं कि आपकी मार्गदर्शिकाएँ समाप्त हो चुकी हैं जो आपके सभी जीवन कालों में आपके सभी यात्रा पर रहे हैं। यह उनके लिए दूर करने का समय था ताकि आप उनकी जगह अपने देवत्व से भर सकें। यह समय भी गुजर जाएगा। भीतर का शून्य अपने ही सत्य ईश्वर की प्रेम और ऊर्जा से भर जाएगा।

घर(मंजिल) जाने के लिए एक गहन इच्छा
यह अनुभव शायद किसी भी परिस्थितियों में सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण है। ग्रह(पृथ्वी) छोड़ने और अपनें वास्तविक घर(परम्) पर वापस जाने की एक गहरी और भारी इच्छा का अनुभव है। ध्यान साधना करते हुए आपने अपने आपको पूर्ण स्वच्छ और निर्मल बना लिया अब आप एक शांत ऊर्जा है जो घर जाना चाहती है। इसके लिए मूल कारण काफी आसान है। आपने अपना कर्म चक्र पूरा कर लिया है आपने इस जीवनकाल के लिए अपना अनुबंध पूरा कर लिया है। अब समय आ गया सदा सदा के लिए उस परम् ऊर्जा में विलीन होने का। यही आत्मा की यात्रा है जिसके लिए हम जन्म पर जन्म लेते रहते है।

अगर आप पृथ्वी पर दूसरे कर्तव्य के दौर के लिए तैयार हैं? आप नई ऊर्जा में जाने की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं? अगर हां, वास्तव में आप अभी घर जा सकते हैं। लेकिन आप ये बहुत दूर आ गए है। इसके लिए पूर्ण प्रयास करना होगा गुरु सानिध्य में रहकर। निंरतर ध्यान साधना में जीवन व्यतीत करना होगा तभी ये सम्भव है। कर्म चक्र से निकलना सहज नही है ये गुरु कृपा से ही सम्भव है। इसलिए इस यात्रा के लिए आपको आवश्यकता है एक अनुभवी गुरु की जो आपको पूर्ण और सही मार्गदर्शन दे सके और इस दिव्य यात्रा को पूर्ण करवा है। अब समय है इस परम् मार्ग पर चलने का गुरु सानिध्य में जाने का। ये संसार, रिश्ते नाते हर जन्म में मिल जाते है लेकिन वो बड़े भाग्यशाली होते है जिनको गुरु प्राप्त हो जाते है।

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