गुरुवार, 16 मार्च 2017

आध्यात्मिक ज्ञान


                                         



इंसान कभी भी अपनी समस्या से मुक्ति नहीं पाता कभी परिवार वयापार कभी सवास्थय कभी निजीसमस्यां और इससे निजाद पाने के लिए वो कभी किसी न किसी के  दर पर जाता है ताकि उसके मन को शांति मिले उसकी समस्याओ का  समाधान मिले ! वो इसे लिए सिद्ध परुष को ढूंढने लग जाते है ! ताकि उनके आश्रीवाद से उनको उनकी समस्याओ से निजाद मिले और वो सुख और चैन का जीवन जी सके ! किन्तु वो भूल जाते है के एक सिधपरुष के आश्रीवाद से कल्याण कैसे होगा ! वो यह यह सोचते  उसके दिए हुए आश्रीवाद से  उनका कल्याण होगा वो उनके जैसे बन सकेंगे किसी भी प्रस्थिति का सामना करने में सक्षम हो सकेंगे भय नही होगा कष्ट नही होगा किन्तु ऐसा होता नही ! जब ऐसा नही होता तोह वो कहते है कोइ सरल उपाय बताइये जैसे कोइ जंत्रिवन्तरी कुछ ऐसा बांध दीजिये जैसे कोई  सीधी यंत्र दे दीजिये ज्ञान का धागा दे दीजिये ! यह सब पा कर भी वो अपने दुखो से समस्याओ से मुक्त नही हो पाते
क्योंकि वो आध्यात्मिक ज्ञान से दूर है मन की शांति सुख सिद्धियां यह कोई वस्तुएं नही होती और न ही इनका क्रय विक्रय किया जा सकता है और न कभी इनका आदान प्रदान किया जाता है ! पिता की सिध्यां पुत्र के उपयोग में नही आती ! पति की सीधी पत्नी के उपयोग में नहीं आती और गुरु की सिद्धियां शिष्य नहीं प्राप्त कर सकते जिस प्रकार वो  प्राप्त करना चाहते है ! उन्हें प्राप्त करने के लिए तप करना पड़ता है कठोर तप यह कोई आभूषण नहीं कोई अलंकार नहीं जो ऐसे प्राप्त किया जा सके वो चाहे तोह भी किसी को दे नहीं सकते क्योंकि इनका आदान प्रदान नही
किया   जा सकता इनको तोह केवल प्राप्त किया जा सकता है तपस्या से त्याग से ! सिद्ध पुरुष तोह केवल मार्ग दिखा सकता है मार्ग पर चलना या न चलना यह हम पर निर्भर करता है

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