मंगलवार, 9 जनवरी 2018

त्र्यंम्बकेश्वर ज्योतिर्लिग








यह ज्योतिर्लिग गोदावरी नदी के करीब, महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकत ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है. इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरु होती है. भगवान शिव का एक नाम त्रयम्बकेश्वर भी है. कहा जाता है. कि भगवान शिव से गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर भगवान शिव को यहां ज्योतिर्लिंग के रुप में रहना पडा था. भगवान शिव के नाम से ही त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग आज श्रद्वा और विश्वास का स्थल बन चुका है. गोदावरी नदी और ब्रह्मा गिरि पर्वत की शोभा बढाने वाले भगवान त्रयम्बकेश्वर भगवान शिव की महिमा अद्वभुत है.




इस मंदिर में एक मुख्य ज्योतिर्लिंग के अलावा तीन छोटे-छोटे लिंग है. यहां के ये तीनों शिवलिंग ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतीक माने जात है. धार्मिक शास्त्रों शिवपुराण में भी त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का वर्णन है. कहा जाता है, कि ब्रह्रागिरि पर्वत पर जाने के लिए यहां सात सौ सीढियां है. इन सीढियों से ऊपर जाने के मध्य मार्ग में रामकुण्ड और लक्ष्मणकुण्ड है. ब्रहागिरि पर्वत पर पहुंचने पर गोदावरी नदी के उद्वगम स्थल के दर्शन होते है. त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग इसलिए भी अपनी विशेषता रखता है कि यहां मात्र भगवान शिव की ही पूजा नहीं होती है. बल्कि भगवान शिव के साथ साथ देव ब्रह्मा और देव विष्णु की भी लिंग रुप में पूजा की जाती है. अन्य सभी 11 ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव ही विराजित है, और वहां भगवान शिव ही मुख्य देव है, जिनकी पूजा की जाती है. कालसर्प शान्ति स्थल -त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग |


रयंम्बकेश्वर मंदिर भव्य रुप से बनाती है. मंदिर के गर्भगृ्ह में केवल शिवलिंग की कुछ भाग ही दिखाई देता है. ध्यान से देखने पर ये एक लिंग होकर तीन लिंग है. इन्हीं तीनों लिंगों को त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिरुप मान कर पूजा जाता है. त्रयंम्बकेश्वर मंदिर के निकट का गांव ब्रहागिरि के नाम से जाना जाता है. क्योकि यह गांव ब्रहागिरि पहाडी की तलहटी में स्थित है. ब्रहागिरि पर्वत भगवान शिव का साक्षात रुप है.

त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिग के संबन्ध में एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है. कथा के अनुसार गौतम ऋषि ने यहां पर तप किया था. स्वयं पर लगे गौहत्या के पाप से मुक्त होने के लिए गौतम ऋषि ने यहां कठोर तपस्या की थी. और भगवान शिव से गंगा नदी को धरती पर लाने के लिए वर मांगा था. गंगा नदी के स्थान पर यहां दक्षिण दिशा की गंगा कही जाने वाली नदी गोदावरी का यहां उसी समय उद्वगम हुआ था. भगवान शिव के तीन नेत्र है, इसी कारण भगवान शिव का एक नाम त्रयंबक भी है. अर्थात तीन नेत्रों वाला भी है. उज्जैन और औंकारेश्वर की ही तरह त्रयम्केश्वर को ही गांव का राजा माना जाता है.

 यह माना जाता है, कि देव त्रयंबकेश्वर भगवान शिव प्रत्येक सोमवार के दिन अपने गांव का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण के लिए आते है.

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