मंगलवार, 2 जनवरी 2018

रामेश्वरम कथा

यह कथा तब आरम्भ होती है जब भगवान्  राम  के मन में यह व्याकुलता उत्पन होती है के रावण  वध से उनके  कुल पर ब्रामण हत्या का कलंक लग जाएगा ?

तब भगवान राम ने महादेव की स्तुति कर उनको प्रकट होने के लिए प्र्थना की के शिव शंकर  भोले महादेव आप सब आपदाओं को हरने वाले है !

भगवान् शिव वह प्रकट हुए और  भगवान् राम से बोले !

तुम्हारे मन  में यह विचार आ रहे है के तुम रावण का वध कर ब्रामण हत्या के पाप के भागी बन जाओगे और इससे रघुकुल की प्रतिष्ठा पर सदा के लिए कलंक लग जाएगा ! किन्तु समरण रहे  राम यहाँ प्र्शन पाप और पुण्य का नहीं है ! राम तुम यह कार्य एक दुष्कृत्य का अंत करने के लिए कर रहे हो ! ऐसे कर्म से कुल की सद्गति होगी  या अद्योगति यह केवल एक प्रश्न पर निर्भर करता है  के करता ने इस कर्म को स्वार्थ भाव से किया है या वैरागी भाव से

तब राम ने भगवान शंकर से कहा प्रभु अपने यह वचन कर मेरे को मेरी व्याकुलता से मुक्त किया है ! इसके लिए मैं आपको नमन कर आपको धन्यवाद करता हूँ और कहा प्रभु आपकी अनुमति हो तोह मैं आपका लिंग स्थापित करना चाहता हूँ ! जिसे आपकी कृपा दृष्टि  इस भूमि पर सदैव बने रहेगी

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