शुक्रवार, 15 मई 2020

हनुमानजी और शनि देव जी का रिश्ता


हनुमानजी और शनि देव जी का रिश्ता क्यों शनिदेव जी के ऊपर शनिवार को तेल चढ़ाया जाता है जाने इस कहानी से|

एक बार महावीर हनुमान श्री राम के किसी कार्य में व्यस्त थे | उस जगह से शनिदेव जी गुजर रहे थे की रास्ते में उन्हें हनुमानजी दिखाई पड़े | अपने स्वभाव की वजह से शनिदेव जी को शरारत सूझी और वे उस रामकार्य में विध्न डालने हनुमान जी के पास पहुच गये |

हनुमानजी शनि देव को चेतावनी दी और उन्हें ऐसा करने से रोका पर शनिदेव जी नहीं माने | हनुमानजी ने तब शनिदेव जी को अपनी पूंछ से जकड लिया और फिर से राम कार्य करने लगे | कार्य के दौरान वे इधर उधर खुद के कार्य कर रहे थे |

इस दौरान शनिदेवजी को बहूत सारी छोटे आई | शनिदेव ने बहूत प्रयास किया पर बालाजी की कैद से खुद को छुड़ा नहीं पाए | उन्होंने हनुमंते से बहूत विनती की पर हनुमानजी कार्य में खोये हुए थे | जब राम कार्य ख़त्म हुआ तब उन्हें शनिदेवजी का ख्याल आया और तब उन्होंने शनिदेव को आजाद किया |

शनिदेव जी को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने हनुमानजी से माफ़ी मांगी की वे कभी भी राम और हनुमान जी के कार्यो में कोई विध्न नहीं डालेंगे | और श्री राम और हनुमान जी के भक्तो को उनका विशेष आशीष प्राप्त होगा |

शनिदेव जी भगवान श्री हनुमान से कुछ सरसों का तेल माँगा जिसे वो अपने घावो पर लगा सके और जल्द ही चोटो से उभर सके | हनुमानजी ने उन्हें वो तेल उपलब्द करवाया और इस तरह शनिदेव के जख्म ठीक हुए | तब शनिदेव जी ने कहा की इस याद में जो भी भक्त शनिवार के दिन मुझपर सरसों का तेल चदायेगा उसे मेरा विशेष आशीष प्राप्त होगा |

हनुमानजी ने शनिदेव को रावण की जेल से मुक्त करवाया : एक कथा के अनुसार अहंकारी लंकापति रावण ने शनिदेव जो को कैद कर लिया और उन्हें लंका में एक जेल में डाल दिया | जब तक हनुमानजी लंका नहीं पहुचे तब तक शनिदेव उसी जेल में कैद रहे | जब हनुमान सीता मैया की खोज में लंका में आये तब माँ जानकी को खोजते खोजते उन्हें भगवान् शनि देव जेल में कैद मिले | हनुमानजी ने तब शनि भगवान को आजाद करवाया | आजादी के बाद उन्होंने हनुमंते का धन्वाद किया और उनके भक्तो पर विशेष कृपा बनाये रखने का वचन दिया |

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