शिवलिंग एक ऐसी शक्ति है, जिसकी पूजा से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शिवलिंग यानी शिवजी का साक्षात रूप। विधि-विधान से शिवलिंग का पूजन करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और साथ ही सभी देवी-देवताओं की कृपा भक्त को प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं के विधिवत पूजन आदि धार्मिक कर्मों मे बहुत सी सामग्रियां सम्मिलित की जाती हैं। इन सामग्रियों मे 'हल्दी' भी है। पूजन कर्म मे हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान है।
कई पूजन विधियां ऐसी हैं जो हल्दी के बिना पूर्ण नहीं मानी जा सकती। हल्दी एक औषधि भी है और हम इसका प्रयोग सौंदर्य प्रसाधन मे भी करते हैं। पूजन मे हल्दी ,गंध और औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है। हल्दी शिवजी के अतिरिक्त लगभग सभी देवी-देवताओं को अर्पित की जाती है। हल्दी का स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है।
शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए लेकिन जलाधरी पर चढ़ाई जानी चाहिए। शिवलिंग दो भागों से मिलकर बनी होती है।
एक भाग शिवलिंग शिवजी का प्रतीक है और दूसरा भाग जलाधारी माता पार्वती का प्रतीक है। शिवलिंग चूंकि पुरुष तत्व का प्रतिनिधित्व करता है अत: इस पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। हल्दी स्त्रियों के सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री है और जलाधारी मां पार्वती की प्रतीक है अत: इस पर हल्दी चढ़ाई जानी चाहिए।
- जलाधरी पर कभी दिया नहीं जलाते
- शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ नारियल कभी फोड़ा नहीं जाता उसे विसर्जित कर दिया जाता है।
- शिवलिंग भगवान् शंकर का प्रतीक होने के कारण उसे तुलसी के नीचे नहीं रखा जाता , तुलसी के नीचे शालिग्राम ( भगवान् विष्णु का निर्गुण रूप ) रखा जाता है.
- शिवलिंग पर तुलसी की मंजरी (तुलसी के फूल) चढ़ाए जाते हैं।
- भोलेनाथ को पूजा मे मेंहदी नहीं चढ़ाई जाती।
इसीलिए हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार शिवजी को मेंहदी नहीं चढ़ाई जाती।
!! ॐ नमः शिवाय !!
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