महादेव ने बताया है कि रात के समय एक शांत व अंधकारमय स्थान पर बैठें।दोनों नेत्र बंद करे फिर दोनों हाथ की तरजनी अंगुली से दोनों कानों को बंद कर लें।कुछ ही समय के अभ्यास के बाद एक अग्नि शब्द सुनाई देगा जिसे ब्रह्म कहतें हैं।इस शब्द को सुनने का अभ्यास करना शब्द ब्रह्म का ध्यान करना कहलाता है।
यह ना ॐ कार है, न मंत्र है, न बीज है, न अक्षर है।यह अनाहत नाद है अर्थात बिना आघात या बिना बजाये उतपन्न होने वाला शब्द/ध्वनि।
इसका उच्चारण किये बिना ही चिंतन होता है यह नौ प्रकार का होता है:-
1. मेघनाद
: इसके चिंतन से कभी विपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ता।
2. शंख नाद
: इसके ध्यान व अभ्यास से इच्छानुसार रूप धारण करने की शक्ति प्राप्त होती है।
3. वंशी नाद
: इसके ध्यान से सम्पूर्ण तत्त्व प्राप्त हो जाते हैं।
4. घोष नाद
यह आत्मशुद्धि करता है, सब रोगों का नाश करता है ।
5. वीणा नाद
: इससे दूर दर्शन की शक्ति प्राप्त होती है।
6. श्रृंग
नाद : यह अभिचार से सम्बन्ध रखने वाला है।
7. दुन्दुभी
नाद : इसके ध्यान से साधक जरा व मृत्यु के कष्ट से छूट जाता है।
8. कांस्य
नाद : यह प्राणियों की गति को स्तंभित कर देता है। यह विष, भूत, ग्रह आदि सबको बांधता
है। इन सबको छोड़कर जो अन्य शब्द सुनाई देता है वह तुंकार कहलाता है। तुंकार का ध्यान
करने से साक्षात् शिवत्व की प्राप्ति होती है -शिव पुराण, उमा संहिता
9. घंट नाद
: इसका उच्चारण साक्षात् शिव करते हैं। यह सभी देवताओं को आकर्षित कर लेता है, महासिद्धियाँ
देता है और कामनाएं पूर्ण करता है।
महादेव ने बताया है कि रात के समय एक शांत व अंधकारमय स्थान पर बैठें।दोनों नेत्र बंद करे फिर दोनों हाथ की तरजनी अंगुली से दोनों कानों को बंद कर लें।कुछ ही समय के अभ्यास के बाद एक अग्नि शब्द सुनाई देगा जिसे ब्रह्म कहतें हैं।इस शब्द को सुनने का अभ्यास करना शब्द ब्रह्म का ध्यान करना कहलाता है।
यह ना ॐ कार है, न मंत्र है, न बीज है, न अक्षर है।यह अनाहत नाद है अर्थात बिना आघात या बिना बजाये उतपन्न होने वाला शब्द/ध्वनि।
इसका उच्चारण किये बिना ही चिंतन होता है यह नौ प्रकार का होता है:-
1. मेघनाद
: इसके चिंतन से कभी विपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ता।
2. शंख नाद
: इसके ध्यान व अभ्यास से इच्छानुसार रूप धारण करने की शक्ति प्राप्त होती है।
3. वंशी नाद
: इसके ध्यान से सम्पूर्ण तत्त्व प्राप्त हो जाते हैं।
4. घोष नाद
यह आत्मशुद्धि करता है, सब रोगों का नाश करता है ।
5. वीणा नाद
: इससे दूर दर्शन की शक्ति प्राप्त होती है।
6. श्रृंग
नाद : यह अभिचार से सम्बन्ध रखने वाला है।
7. दुन्दुभी
नाद : इसके ध्यान से साधक जरा व मृत्यु के कष्ट से छूट जाता है।
8. कांस्य
नाद : यह प्राणियों की गति को स्तंभित कर देता है। यह विष, भूत, ग्रह आदि सबको बांधता
है। इन सबको छोड़कर जो अन्य शब्द सुनाई देता है वह तुंकार कहलाता है। तुंकार का ध्यान
करने से साक्षात् शिवत्व की प्राप्ति होती है -शिव पुराण, उमा संहिता
9. घंट नाद
: इसका उच्चारण साक्षात् शिव करते हैं। यह सभी देवताओं को आकर्षित कर लेता है, महासिद्धियाँ
देता है और कामनाएं पूर्ण करता है।