शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

माता लक्ष्मी ज्ञान


माता लक्ष्मी  त्रिदेवियों  में से  एक प्रमुख देवी हैं। वो भगवान विष्णु की पत्नी हैं और धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है। गायत्री की कृपा से मिलने वाले वरदानों में एक लक्ष्मी भी है। जिस  पर माता लक्ष्मी  कृपा हो जाए वो व्यक्ति सदा सुख पाता है और भक्तो  पर उनकी कृपा सदैव बनी रहे ! इस लिए माता ने कुछ नियम बनाए है

मेरी लालसा रखो लेकिन लोलुपता नहीं। लोलुपता में तुम वे कर्म करोगे जिसके कारण मैं तुम्हें विवश हो त्याग दूँगी।

1. जिन्हें मैं प्राप्त हो जाती हूँ उसे तत्काल बुद्धि विवेक के संजोकर रखने का प्रयास करना चाहिये। अक्सर मुझे प्राप्त कर प्राणी यह भूल जाता है। फिर उसका अहंकार एक दिन मुझसे दूर कर देता है।
2. कृपा बरसाने के बाद मैं तुम्हारी परीक्षा लेती रहती हूँ। तुम्हारे धन का दसांश मुझे दान और दुखियों की सेवा के रूप में वापस करना होगा।
3. धन के रूप में साक्षात् मैं वास करती हूँ। उसे अपवित्र प्रकार से रखना, अनुचित प्रकार से उड़ाना और अशुद्ध करना मेरा अपमान है।
4. मैं आई हूँ तो जाने के मार्ग भी खोजती रहती हूँ। कर्म यदि अच्छे नहीं रहे तो मुझे पाकर भी तुम दरिद्र रहोगे।
5. पूर्वजन्म के सुकर्मों के कारण इस जन्म में यदि मैं तुम्हें सुलभ हुई हों, तो मुझे विवश मत समझना। यदि इस जन्म के कर्म उचित न रहे तो मैं उस दिन तुम्हारा साथ छोडूंगी जिस दिन मेरी सबसे अधिक आवश्यकता होगी। दान-पुण्य और दया से हीन व्यक्ति का धन रखा रह जाता है।

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