जिसे करोडो रूपए बर्बाद और कितने पेड़ काटे जाते है और उसके बाद फिर परियावरण को बचाने की मुहिम शरू होती है और फिर करोडो रूपए की लूट होती है ! यह सब हमारे शिक्षा के मंदिर और उसे संचालित करने वालो की दलाली से हो रहा है ! सता तोह बदलती है पर व्यवस्था नही ! आइये हम अपने आपको इस कुम्भकर्ण की नींद से जगाएं ! ताकि हम अपना और आने वालो को एक ऐसा जीवन दे ताकि इस समाज में कभी को आशिक्षित और बुखा न रहे! मिल जुल कर इंसानियत को बढ़ावा दे इसे संसार में समानता होगी और भारत भी उन्नति करेगा!
महादेव बोलते है किसी को मिटाने का नहीं अभी तोह उसको पल्वित करना ही सही मार्ग है ! इसे लिए कैलाश में सिंह भी और बेल भी मूषक भी और सर्प भी किसी को किसका भय नही ! सभी सुख और शांति से अपना अपना धर्म निभाते आ रहे है ! कहीं कोइए वरचापस और प्रभुता का भय नही ! क्योंकि वरचापस तोह धर्म विरोधी है !
प्रभुता की आवशकता तोह वहां होती है जहा मत विभिन का आदर नही होता और समर्ण रहे एक दूसरे की सहायता करना मतों का आदान प्रदान करना इनकी आवशकता समय के साथ बढ़ती रहेगी ! जितना भींता को सामान दोगे उतना संसार में सामंजस्य बढेगा ! यही समानता शांति और अहिंसा विकास का आधार बनेगा और यही विकास जब जब तुम्हारी प्रसन्ता बनकर प्रत्यक्ष होगा तब तब महादेव को प्रसन्ता होगी
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