सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

कर्तव्यों की पूर्ति




अपने कर्तव्यों की पूर्ति करना व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म होता है ! और हमारे धर्म के पालन हेतु महादेव का आश्रीवाद सदा हमारे साथ है ! किन्तु समरण रहे कर्म वो ही उचित होता है जिसका परिणाम और उद्देश्य दोनों उचित हो ! जिसे संसार को शती न पहोचे संसार में भय अस्थिरता उत्पन न हो !इसे लिए महादेव ने हमे अपना जीवन स्वत्रांत इच्छा से जीना का अधिकार दिया है किन्तु परिणाम के उत्तर दाई भी हम स्यम ही होंगे

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