जिन्हें परिभाषित करना संभव ही नही है ! इस संसार के सभी तत्वों को इनसे पृथक कर उन्हें परिभाषित करना असम्भव होगा !
सब इन्हे मानते है किन्तु इनके
सम्पूर्ण रूप को कोई नही जनता और जिसे आभास है के वो इनको पुरन्ता समझ गया
है वो यह नही जनता की वो अब तक कुछ समझा ही नही ! इनके आभाव में सब शव के
सामान है ! यह वही शिव है देवों के देव महादेव
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