सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

शिवोहम् =में(आत्मा)ही शिव हु।

शिवोहम् =में(आत्मा)ही शिव हु।
नित्योहम= में(आत्मा)नित्य हूँ।मे कल भी था,आज भी हु और कल भी रहूँगा!
शुद्धोहम= में ही विकार रहित परम पवित्र हूँ।
बुद्धोहम= में ही बुद्ध स्वरुप अखण्ड,अटल,निश्छल हूँ।
मुक्तोहम्=में सभी बंधनो से परे , सदैव ही मुक्त हूँ।

शिवोहम् शिवोहम् शिवा स्वरूपम्।
नित्योहम् शुद्धोहम् बुद्धोहम् मुक्तोहम्।

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय......|

शिव का अर्थ है कल्याण...
शिव अजन्मा है, शिव अनंत है...
शिव ही गुरु है, शिव ही ज्ञान है..
शिव संगीत है, शिव नृत्य है...
शिव मे है कृष्ण और कृष्ण मे शिव है...
शिव ही से है योग और योग तो शिव है..
शिव भजे श्री राम को और राम में तो शिव ही शिव है...
शिव है आप के भीतर और मेरी तो सांसो में शिव है...

नमः शिवाय...

कलियुग केवल नाम अधारा ,
सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।
सुमिर सुमिर नर पावहि पारा।
हर सांस में हो सुमिरन तेरा ,

यूं बीत जाए जीवन मेरा।
हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!
हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!


जब चिंता कोई सताये --सिमरन करो !!
जब व्याकुल मन घबराये --सिमरन करो !!
कोई राह नजर न आये --सिमरन करो !!
अगर बात समझ में न आये --सिमरन करो !!

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